♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥इल्ज़ाम…♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥
क्या इल्ज़ाम लगा देने से, रंग प्यार का खिल जाता है!
क्या इल्ज़ाम लगा देने से, घाव मनों का सिल जाता है!
इन झूठे इल्ज़ामों से तो, सम्बन्धों में दूरी बढ़ती,
प्यार, वफ़ा का रिश्ता नाता, बस मिट्टी में मिल जाता है!
जो बस खुद को पाक़ समझकर, औरों पर कालिख मलते हैं!
कहाँ भला उनके जीवन में, दीये हक़ीक़त के जलते हैं!
ये क्या जानें इल्ज़ामों से, ये प्यारा दिल छिल जाता है!
क्या इल्ज़ाम लगा देने से, रंग प्यार का खिल जाता है!
कितने भी इल्ज़ाम लगाओ लेकिन सच कब मर पाया है!
इल्ज़ामों का झूठा चेहरा, एक दिन क़दमों में आया है!
"देव" जहाँ में इल्ज़ामों से, रिश्ते नाते खंडित होते,
इल्ज़ामों की आंच में तपकर, खिलता घर भी मुरझाया है!
इन झूठे इल्ज़ामों के बिन, जब भी प्यार किया जाता है!
वही प्यार देखो दुनिया में, दिल से यहाँ किया जाता है!
इल्ज़ामों की चोट से देखो, घर, आंगन सब हिल जाता है!
क्या इल्ज़ाम लगा देने से, रंग प्यार का खिल जाता है!"
..................चेतन रामकिशन "देव"......................
दिनांक- २४.०३.२०१४
क्या इल्ज़ाम लगा देने से, रंग प्यार का खिल जाता है!
क्या इल्ज़ाम लगा देने से, घाव मनों का सिल जाता है!
इन झूठे इल्ज़ामों से तो, सम्बन्धों में दूरी बढ़ती,
प्यार, वफ़ा का रिश्ता नाता, बस मिट्टी में मिल जाता है!
जो बस खुद को पाक़ समझकर, औरों पर कालिख मलते हैं!
कहाँ भला उनके जीवन में, दीये हक़ीक़त के जलते हैं!
ये क्या जानें इल्ज़ामों से, ये प्यारा दिल छिल जाता है!
क्या इल्ज़ाम लगा देने से, रंग प्यार का खिल जाता है!
कितने भी इल्ज़ाम लगाओ लेकिन सच कब मर पाया है!
इल्ज़ामों का झूठा चेहरा, एक दिन क़दमों में आया है!
"देव" जहाँ में इल्ज़ामों से, रिश्ते नाते खंडित होते,
इल्ज़ामों की आंच में तपकर, खिलता घर भी मुरझाया है!
इन झूठे इल्ज़ामों के बिन, जब भी प्यार किया जाता है!
वही प्यार देखो दुनिया में, दिल से यहाँ किया जाता है!
इल्ज़ामों की चोट से देखो, घर, आंगन सब हिल जाता है!
क्या इल्ज़ाम लगा देने से, रंग प्यार का खिल जाता है!"
..................चेतन रामकिशन "देव"......................
दिनांक- २४.०३.२०१४
1 comment:
ब्लॉग बुलेटिन की आज की बुलेटिन इंसान का दिमाग,सही वक़्त,सही काम - ब्लॉग बुलेटिन मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !
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