Sunday, 22 December 2013

♥♥आंगन का चाँद...♥♥

♥♥♥♥♥♥♥♥आंगन का चाँद...♥♥♥♥♥♥♥♥♥
जिंदगानी को चलो हंसके, गुजारा जाये!
चाँद को आओ के आंगन में, उतारा जाये! 

कौन है जिसकी जिंदगी में नहीं दर्दो-गम,
अपनी किस्मत को चलो, खुद ही संवारा जाये!

जितनी शिद्दत से हमने, चेहरे को दमकाया है,
उतनी शिद्दत से चलो, दिल को निखारा जाये!

न ही हिन्दू, नहीं मुस्लिम, न ईसाई, न सिख,
आदमी बनके चलो, सबको पुकारा जाये!

युद्ध में जो भी मिले, जीत या फिर नाकामी,
जंग से पहले नहीं, होंसला हारा जाये!

नफरतों से नहीं मिलता है, ज़माने में कुछ,
अपनी लफ्जों से मोहब्बत को, उभारा जाये!

"देव" वो जिनकी झलक, रूह में समाई है,
प्यार में उनके चलो, दिल को भी हारा जाये!" 

...........चेतन रामकिशन "देव"….........
दिनांक-२२.१२.२०१३