Sunday, 20 March 2011

*********************** मेरे मन की पीड़ा******, * The suffering of my mind)******************


*********************** मेरे मन की पीड़ा******************
"जिसको मैंने राम समझ कर, पग छूकर प्रणाम किया था!
अपनी सारी खुशियों का,हर लम्हा उसके नाम किया था!
उसके बिन भी मर्यादा में, रहकर अपनी रात गुजारी,
उसके चैन, अमन की खातिर, अपना सुख नीलाम किया था!

सात वचन में बांध के जिसने, जीवन साथी हमें बनाया!
अपने नाम के पीछे हमने, जिस व्यक्ति का नाम लिखाया!

आज वही जीवन का साथी, उन वादों में आग लगाए!
खुद रावण होके भी देखो, मुझ सीता पर दोष लगाए............ *******



अपनी इज्ज़त पे ऊँगली मैं, जीते जी उठने ना दूंगी!
मैं पत्थर की शिला नहीं हूँ, जो झूठे आरोप सहूंगी!
उनका घर हो उन्हें मुबारक, उस घर में मुझको नहीं रहना,
पत्नी बनकर गयी थी घर में, दासी बनकर नहीं रहूंगी!

अपने जीवन की नैया का, मांझी हमने जिसे बनाया!
जिसकी खातिर धूप में हमने, अपना सारा बदन जलाया!

आज वही जीवन का साथी, मेरे गाल पे हाथ उठाए!
खुद रावण होके भी देखो, मुझ सीता पर दोष लगाए............ *******


नारी हूँ मैं, नारी हूँ तो, मैं कोई बेजान नहीं हूँ!
पैरों की जूती क्यूँ समझो, मैं  कोई गुमनाम नहीं हूँ!
जैसे खून है उनमें बहता, वैसा ही बहता है मुझमे,
मैं काजल का दाग नहीं हूँ, मैं कोई बदनाम नहीं हूँ!

मैंने निश दिन पूजा करके, जिसके मस्तक तिलक लगाया!
करवाचौथ का व्रत रखा और, जिसको अपना "देव" बनाया!

आज वही जीवन का साथी, मेरे जिस्म का खून बहाए!
खुद रावण होके भी देखो, मुझ सीता पर दोष लगाए............ *******


अपनी इज्ज़त पे ऊँगली मैं, जीते जी उठने ना दूंगी!
पत्नी बनकर गयी थी घर में, दासी बनकर नहीं रहूंगी!”

"पुरुष प्रधान समाज ने, नारी को प्रयोग और उपयोग करने का साधन समझ लिया है! पुरुष, हर एक रिश्ते में महिला  से विश्वास पात्र होने की अपेक्षा रखता है जबकि वो खुद विश्वास का अर्थ नहीं जानता! तो आइये इस कलुषित पुरुषवादी सोच को समाप्त करने के लिए अपने स्तर से पहल करें!-चेतन रामकिशन (देव)"


 ******************* The suffering of my mind)******************
"which I do understand as a god, step was touching the bow!
All my happiness, every moment was his name!
Without him in dignity, by being spent her night,
His peace, for the sake of peace, my happiness was auctioned!

Dam of seven words which, spouses made ​​us!
We back your name, name of the person Alikhaaya!

Today the same life partner, the fire put those promises!
False self even look, he put the blame on me ............ *******

Finger on my honor I'll not get up alive!
I'm not stone rock, which tolerate false accusations!
Congratulations to them they are home, not be me in that house,
Was as a house wife, ll not be a servant!

Of your life boat, boater, we made ​​that!
Whose sake we have in the sun, burnt my whole body!

Today the same life partner, raised hand on my cheek!
False self even look, he put the blame on me ............ *******

I'm female, so women do, I'm not a lifeless!
Why Do foot foot, I'm not an anonymous!
As blood flows into them, so the flows in me,
I'm not stain mascara, I'm not a bad!

I worship day by day, whose head vaccinated!
Kept the marital vow, which your "Dev" made​​!

Today the same life partner, shed the blood of my body!
False self even look, he put the blame on me ............ *******

Congratulations to them they are home, not be me in that house,
Was as a house wife, ll not be a servant!”


"Male-dominated society, women have understood the experiment and to use tools! Man, every woman in a relationship than to be confidant while he himself does not know the meaning of faith! So come to think of the man's foul initiative to end their level! - Chetan Ramkishan (Dev) "





















♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥होली(..और साथ प्रेमिका )♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥


♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥होली(..और साथ प्रेमिका )♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥
"कहाँ खड़ी हो दूर दूर तुम, इतना क्यूँ तडपाती हो तुम!
मेरे हाथ में रंग देखकर, इतना क्यूँ घबराती हो तुम!
कितना तेरा नाम पुकारा, कितनी दीं तुमको आवाजें,
चंद पगों की दूरी में भी, इतनी देर लगाती हो तुम!
 
ये सच है के तडपाने से, तेरी साँस भी धीरे चलती!
मिलता है आनंद मुझे पर, सुन सजना मैं क्या फिर करती!

अब मेरा हाथ पकड़ ले, रंगों की बौछार करा दे!
सबसे पहले हक है तेरा, अब मुझको तू रंग लगा दे!
तेरे बिन ये रंग अधूरे, तेरे बिन सूनी रंगोली!
सजना अब प्यार मिलाकर, आपस में हम खेलें होली............

रंग बनाकर सिंदूरी मैं, पहले तेरी मांग सजाऊ!
तेरे गाल की सुर्खी को मैं, लाल रंग से और बढ़ाऊ!
पीले रंग की खुश्बू को मैं, सजनी तेरे केश लगाकर,
चमकीले रंगों से सजनी, नैनों के ये पलक सजाऊ!

तेरी हूँ मैं जैसे चाहे, रंगों से ये बदन भिगो दे!
सबसे पहले हक है तेरा, अब मुझको तू रंग लगा दे!

मुझको बाँहों में भर ले , गले मिले बिन कैसी होली!
सजना अब प्यार मिलाकर, आपस में हम खेलें होली............

तेरे बिन ये रंग अधूरे, तेरे बिन सूनी रंगोली!
सजना अब प्यार मिलाकर, आपस में हम खेलें होली!”


"मित्रों, आज की इस होली का वर्णन मैंने सिर्फ परोक्ष रूप से महसूस करते हुए किया है, क्यूंकि मेरी प्रेरणा शक्ति मुझसे बहुत दूर रहती है! लेकिन प्रेम के इस शुद्ध एहसास को महसूस करते हुए, आइये अपनी प्रेयसी संग होली खेलें- चेतन रामकिशन(देव)"

♥ ♥ ♥ ♥ ♥ ♥ ♥ ♥ ♥ ♥ ♥ ♥ Holly (.. and with a girlfriend) ♥ ♥ ♥ ♥ ♥ ♥ ♥ ♥ ♥ ♥
"Where you stand far away, so why you are persecuted!
Seeing color in my hands, so why are you scared!
What your name called, so you sounds proceeded,
In a few step away, so while you dial!



This is true of trouble, your breath moving too slowly! 
I get the pleasure to hear, then I would show off! 

Now come hold my hand, take a shower of color get on! 
The first is rightfully yours, now give me find you paint! 
These colors incomplete without you, without you colouring barren! 
Love beloved come together now, together we play holi ............


By color vermilion I shall first filled your request!
I tulip your cheek, and increases in red!
Smells yellow to me, dear your hair planting,
Dear bright colors, eye blinking penalized it should!

Whether I like your, colors give these bodies soaked!
The first is rightfully yours, now give me find you paint! 

Take me to come over in the arms, hugged bin How Holy!
Love beloved come together now, together we play holi ............


These colors incomplete without you, without you colouring barren! 
Love beloved come together now, together we play holi! “


"Friends, today the Holy describe the feeling I have only indirectly, because my inspiration lives far away from me! but love the feel of this pure feeling, come to play Holi with our beloved - chetan ramkishan (Dev) "