Thursday 14 November 2013

♥♥मोहब्बत की खुशबु ...♥♥

♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥मोहब्बत की खुशबु ...♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥
मैं लफ्जों में संगीत भरने लगा हूँ, तेरे प्यार में मैं संवरने लगा हूँ!
तेरे प्यार की इस धवल रोशनी से, के मैं चांदनी सा निखरने लगा हूँ!
तुम्हारी छूअन से मैं फूलों की तरह, के बनकर के खुशबु बिखरने लगा हूँ!
तुम्हारे बिना था अमावस के जैसा, के अब बनके सूरज उभरने लगा हूँ!

तुम्हारी मोहब्बत के ये सिलसिले अब, नहीं आखिरी सांस तक कम करेंगे!
कभी तेरी आँखों में जो होंगे आंसू, तो हम अपनी आँखों को भी नम करेंगे!

तुमसे मोहब्बत हुई इतनी ज्यादा, के तुमसे बिछड़ने से डरने लगा हूँ!
मैं लफ्जों में संगीत भरने लगा हूँ, तेरे प्यार में मैं संवरने लगा हूँ.....

हैं तुमसे अनोखी हमारी ये रातें, के तुमसे अनोखे मेरे दिन हुए हैं!
तुम्हारी मोहब्बत से है खुशगवारी, के खुशियों से भीगे ये उपवन हुए हैं!
सुनो "देव" तेरी मोहब्बत से मन में, के चन्दन के मिश्रण से उबटन हुए हैं!
तुम्हारी मोहब्बत से पूजन किया है, तुम्हारी मोहब्बत से वंदन हुए हैं!

तुम्हारे बिना कुछ नहीं जिंदगी में, तुम्हारी जरुरत है अंतिम समय तक!
तुम्हारी मोहब्बत घुले शाम बनकर, तुम्हारी मोहब्बत हो सूरज उदय तक!

है तेरी फिकर मुझको खुद से भी ज्यादा, दुआ तेरी खातिर मैं करने लगा हूँ!
मैं लफ्जों में संगीत भरने लगा हूँ, तेरे प्यार में मैं संवरने लगा हूँ!"

..........................…चेतन रामकिशन "देव".................................
दिनांक-१४.११.२०१३