♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥मेरी ख्वाहिश..♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥
सारी दुनिया जीत के मैंने, नहीं सिकंदर बनना चाहा!
मजलूमों का खून बहाकर, नहीं धुरंधर बनना चाहा!
बस ऐसा बनना चाहा के, जिसे देखकर दुनिया खुश हो,
हसरत रखी सदा झील की, नहीं समुन्दर बनना चाहा!
जिस मानव के जीवनपथ में, अच्छाई की लय होती है!
उस मानव की इक दिन देखो, सारे जग में जय होती है!
न आंधी की मुझे तमन्ना, नहीं बबंडर बनना चाहा!
सारी दुनिया जीत के मैंने, नहीं सिकंदर बनना चाहा...
न दौलत की हसरत दिल में, न महलों के जैसा घर हो!
सदा रहे जीवित मानवता, गलत काम से मुझको डर हो!
"देव" मैं अपनी नजरों को बस, मिला सकूँ खुद की नजरों से,
मेरी इच्छा नहीं कभी भी, मेरे क़दमों में अम्बर हो!
सच की राह पे चलने वाले, भले ही कुछ पीड़ा पाते हैं!
लेकिन इक दिन आता है जब, सच के लम्हें मुस्काते हैं!
न चाहत है तलवारों की, न ही खंजर बनना चाहा!
सारी दुनिया जीत के मैंने, नहीं सिकंदर बनना चाहा!"
.................चेतन रामकिशन "देव"................
दिनांक-०५.०४.२०१३