Saturday 17 November 2012

♥उजाले की किरण.. ♥


♥♥♥♥♥♥♥उजाले की किरण.. ♥♥♥♥♥♥♥♥
अंधेरों से उजालों की तरफ विस्तार करना है!
हमे मन की निराशा पे कड़ा प्रहार करना है!

चलो अपने मनों से द्वेष की खाई मिटाकर के,
हमे मानव से मानवता के नाते प्यार करना है!

जहाँ देखो वहां दिखते हैं, जंगल ईंट पत्थर के,
हमे हरियाली से भूमि का अब श्रृंगार करना है!

सुनो मंदिर में अपनी वंदना करना मगर पहले,
हमे माता पिता के रूप का सत्कार करना है!

भले ही "देव" दुनिया में, बड़े धनवान हो जाना,
नहीं पर भूल के भी हमको अत्याचार करना है!"

............ (चेतन रामकिशन "देव") .............





♥♥तेरी तस्वीर..♥♥


♥♥♥♥♥♥♥♥♥तेरी तस्वीर..♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥
तेरी तस्वीर को अपनी मोहब्बत से सजाऊंगा!
तेरे गालों पे अपने प्यार का चन्दन लगाऊंगा!

मैं अम्बर के सितारों से, तुम्हारी मांग भर दूंगा!
गुलाबों के मधुर रस से, तेरे अधरों को रंग दूंगा!
मैं तेरे कान के झुमकों को देकर फूल का चेहरा,
तेरी आँखों में काले मेघ से काजल को भर दूंगा!


तेरे माथे पे सुन्दर चाँद की बिंदिया सजाऊंगा!
तेरी तस्वीर को अपनी मोहब्बत से सजाऊंगा!

मुझे फूलों की लड़ियों से तेरा गजरा बनाना है!
मुझे शबनम के मोती से, तेरा कंगन सजाना है!
तेरे वस्त्रों को हरियाली का सुन्दर आवरण देकर,
मुझे फूलों की खुश्बू को, तेरे भीतर वसाना है!

तेरी तस्वीर बनने पर उसे दिल से लगाऊंगा!
तेरी तस्वीर को अपनी मोहब्बत से सजाऊंगा!"

.............. (चेतन रामकिशन "देव") ..............

♥निर्धन का उपवास.♥


♥♥♥♥♥निर्धन का उपवास.♥♥♥♥♥
भूख है, प्यास है, कुछ नहीं खास है!
ये जमीं उसका घर, छत ये आकाश है!
और किसी देवता के भी पूजन के बिन,
मानो हर दिन गरीबों का उपवास है!

देश में निर्धनों का बुरा हाल है!
उनके जीवन में पीड़ा का जंजाल है!
कैसे संतान को कोई उपहार दे,
पास पैसे नहीं, इतना बेहाल है!

उसकी आँखों में आंसू का एहसास है!
और नेताओं के घर मधुमास है!
भूख है, प्यास है, कुछ नहीं खास है!
ये जमीं उसका घर, छत ये आकाश है!"

....... (चेतन रामकिशन "देव") .......