Monday, 5 November 2012

♥♥अपनों की दुश्मनी ♥♥


♥♥♥अपनों की दुश्मनी ♥♥
अपने भी अब बदल रहे हैं!
ख़ुशी के लम्हे फिसल रहे हैं!
आज ग़मों की आंच पे देखो,
दिल के आंसू उबल रहे हैं!

जिसे यहाँ अपना माना था!
जिसका दर्द सदा जाना था!
उसी ने बख्शे आंख को आंसू,
जिसके संग में मुस्काना था!

उसका दिल बेशक न पिघले,
लेकिन पत्थर पिघल रहे हैं!
अपने भी अब बदल रहे हैं!
ख़ुशी के लम्हे फिसल रहे हैं!

उनको अपना चैन मुबारक,
उन्हें मुबारक अपना सोना!
वो क्या जानें किसी की पीड़ा,
वो क्या जानें किसी का रोना!

"देव" आज तो हर तरफ़ा से,
दर्द के पत्थर उछल रहे हैं!
अपने भी अब बदल रहे हैं!
ख़ुशी के लम्हे फिसल रहे हैं!"

.. (चेतन रामकिशन "देव") ..


♥अंतिम साँस ♥


♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥अंतिम साँस ♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥
देह की अंतिम साँस तलक तुम, अपना जीवन मृत न मानो!
जो तुमको मृतप्राय बना दे, तुम उसको अमृत न मानो! 

हंसी खुशी से रहना सीखो, दर्द का चाबुक सहन करो तुम!
अपने मन से कमजोरी के दुखद भाव का दहन करो तुम!
हाँ ये सच है सभी के हिस्से, खुशियों का भंडार नहीं है,
इसीलिए ये भार दुखों का, मजबूती से वहन करो तुम!

तुम केवल अपने जीवन को, पीड़ा से उदधृत न मानो! 
देह की अंतिम साँस तलक तुम, अपना जीवन मृत न मानो!'

.................  (चेतन रामकिशन "देव") ..........................




♥तेरा एहसास ♥


♥♥♥♥♥♥♥♥तेरा एहसास ♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥
तेरा एहसास है दिन में, तेरा एहसास रातों में!
तेरा एहसास चुप्पी में, तेरा एहसास बातों में!

बिना तेरे तो ये संसार भी लगता पराया है!
तुम्हारे प्यार से ही जिंदगी में नूर आया है!
तुम्हारे साथ मेरी जिंदगी लगती है फूलों सी,
तुम्हारे प्यार ने ही मेरे जीवन को सजाया है!

तू ही मेरा करीबी है, तू ही रिश्तों में, नातों में!
तेरा एहसास है दिन में, तेरा एहसास रातों में!"

............ (चेतन रामकिशन "देव") ................