♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥प्यार का पंछी..♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥
पंछी बनकर उड़ आना तुम, आकर मुझको गीत सुनाना!
और तुम बनकर हवा का झोंका, हमदम मेरा घर महकाना!
एक दूजे का हाथ पकड़कर, धवल चांदनी में घूमेंगे,
कुछ तुम मेरे दिल की सुनना, कुछ तुम अपना हाल बताना!
खुले आसमां के नीचे जब, अपने दिल की बातें होंगी!
होगा आलम बड़ा सुहाना, प्यार भरी बरसातें होंगी!
इस बारिश में भीग के हमदम, जुल्फों से मोती बिखराना!
पंछी बनकर उड़ आना तुम, आकर मुझको गीत सुनाना!"
..........................चेतन रामकिशन "देव".......................
दिनांक-१२.०३.२०१३