Sunday, 26 February 2012

♥मुफलिसी (दर्द का रिश्ता)♥


♥♥♥♥♥♥♥मुफलिसी (दर्द का रिश्ता)♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥
भूख प्यास का कफन लपेटे, मानो लाश के जैसा तन है!
गौर से देखो जरा इधर भी, मुफलिस का ऐसा जीवन है!

कोई तो चुनता कूड़ा रददी, एक वक़्त की रोटी खातिर,
कहीं किसी के हाथ में देखो, भीख मांगने का बर्तन है!

क्या नीति है मेरे मुल्क की, इतना अंतर करती है जो,
कोई तो तरसे पाई-२ को, किसी के हिस्से ढेरों धन है!

इनके दर्द की शिफा करे जो, देश में ऐसा नहीं सियासी,
छोटे से छोटा नेता भी, अब तो मुफलिस का दुश्मन है!

देख के इनके तंग हाल को "देव" निगाहें भर आती है,
मुफलिस के घर में तो देखो, साँझ सवेरे करुण रुदन है!"



"मुफलिसी में जीने वाले लोगों से ही पूछा जा सकता है कि, मुफलिसी का दर्द क्या होता है~ देश की नीतियां ऐसी हैं कि एक व्यक्ति पाई-पाई को तरसता है तो वहीँ एक व्यक्ति हजारों करोरों की सम्पत्ति का स्वामी होता है! राजनीति के सौदागर तो इनके जख्मों पर सिर्फ नमक छिड़कते हैं! इन मजलूमों को जागना होगा, इस घुटन से बचना है तो क्रांति तो लानी होगी!"

चेतन रामकिशन "देव"
दिनांक--२७.०२.२०१२