♥♥♥♥♥♥दास्ताँ ...♥♥♥♥♥♥♥
दास्ताँ दर्द की सुनाने को।
गीत बाकी हैं गुनगुनाने को।
मेरी सेहत की फिक्र तुम न करो,
सांस बाकी हैं, आज़माने को।
प्यार है मुझसे तो चली आओ,
ताक पे रखो, इस ज़माने को।
रुपयों पैसों की तो नहीं ख्वाहिश,
नाम चाहता हूँ, मैं कमाने को।
एक दिन में ही कुछ नहीं मिलता,
वक़्त लगता है, सब पे छाने को।
सबकी खातिर तो फूल भी, रेशम,
एक मेरा दिल है, चोट खाने को।
"देव" सुनकर के आह आ जाना,
जान वरना खड़ी है, जाने को। "
........चेतन रामकिशन "देव"………
दिनांक-१३.०६.२०१५
" सर्वाधिकार C/R सुरक्षित।
दास्ताँ दर्द की सुनाने को।
गीत बाकी हैं गुनगुनाने को।
मेरी सेहत की फिक्र तुम न करो,
सांस बाकी हैं, आज़माने को।
प्यार है मुझसे तो चली आओ,
ताक पे रखो, इस ज़माने को।
रुपयों पैसों की तो नहीं ख्वाहिश,
नाम चाहता हूँ, मैं कमाने को।
एक दिन में ही कुछ नहीं मिलता,
वक़्त लगता है, सब पे छाने को।
सबकी खातिर तो फूल भी, रेशम,
एक मेरा दिल है, चोट खाने को।
"देव" सुनकर के आह आ जाना,
जान वरना खड़ी है, जाने को। "
........चेतन रामकिशन "देव"………
दिनांक-१३.०६.२०१५
" सर्वाधिकार C/R सुरक्षित।