Sunday, 2 March 2014

♥♥रग रग में बारूद ♥♥♥

♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥रग रग में बारूद ♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥
बना दिया मुझको विस्फोटक, रग रग में बारूद भरी है!
कुछ अपनों ने पल भर में ही, मेरी जिंदगी तबाह करी है!
बड़े जोर से मानवता की, मगर दलीलें देते हैं वो,
पेश यहाँ ऐसे आते हैं, जैसे उनकी सोच खरी है!

किसी की दुनिया बदतर करके, लोग यहाँ पर जी लेते हैं!
मानव होकर भी मानव का, खून यहाँ पर पी लेते हैं!

मानवता इन लोगों ने ही, क़दमों नीचे यहाँ धरी है!
बना दिया मुझको विस्फोटक, रग रग में बारूद भरी है!

ऐसे लोगों को बस अपने, सुख से ही मतलब रहता है!
जान किसी की निकले बेशक, उनका चेहरा खुश रहता है!
"देव" नहीं मालूम जहां में, अपनायत है किसके दिल में,
इसीलिए बस आज का मानव, पत्थर जैसे बुत रहता है!

ऐसे लोगों का दुनिया में, कुदरत ही इन्साफ करेगी!
मुझे यकीं है इस कुदरत पर, वो न इनको माफ़ करेगी!

खून यहाँ मेरा पीकर भी, इनकी नियत नहीं भरी है!
बना दिया मुझको विस्फोटक, रग रग में बारूद भरी है!"

......................चेतन रामकिशन "देव"…..................
दिनांक-०२.०३.२०१४