Friday, 8 February 2013

♥निर्धन के अश्रु.♥


♥♥♥♥♥♥♥♥निर्धन के अश्रु.♥♥♥♥♥♥♥♥
बचपन बिलख रहा है, जवानी भी रो रही है!
मेरे देश में निर्धन की दशा, ऐसी हो रही है!
सुनता नहीं कोई भी यहाँ, इनके दर्द को,
कानून भी चुप-चाप है, सत्ता भी सो रही है!

मरते हुए निर्धन को, दवा मिल नही पाती!
न जल उसे मिलता है, हवा मिल नहीं पाती!

निर्धन की जिंदगी, बड़ी गुमनाम हो रही है!
बचपन बिलख रहा है, जवानी भी रो रही है....

निर्धन के हित में, कोई न आवाज उठाये!
है कौन जो निर्धन को गले, अपने लगाये!
निर्धन का दर्द "देव", नहीं कोई समझता,
बेशक कोई निर्धन, यहाँ दुख अपना सुनाये!

निर्धन की वेदना यहाँ, सुनता नहीं कोई!
निर्धन के पथ से शूल भी, चुनता नहीं कोई!

निर्धन की जिंदगी, यहाँ नीलाम हो रही है!
बचपन बिलख रहा है, जवानी भी रो रही है!"

.............चेतन रामकिशन "देव"............
दिनांक-०८.०२.२०१३