♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥मोहब्बत तुम्हारी..♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥
मोहब्बत घुली है फिजा में तुम्हारी, के उपवन भी देखो महकने लगा है!
मचलता है मन बस तुम्हारी ही खातिर, तुम्हारे लिए दिल बहकने लगा है!
भले एक चुप्पी है होठो पे लेकिन, ये दिल धीमे धीमे चहकने लगा है,
तुम्हारी मोहब्बत का एहसास करके, मेरा दिल ख़ुशी से लहकने लगा है!
तुम्हारी जरुरत है दिल को हमेशा, भले दिन हो हमदम, भले रात हो!
न दौलत की हसरत कभी मेरे दिल को, है ख्वाहिश यही बस तेरा साथ हो!
मुलाकात की एक तमन्ना जगी है, मुलाकात को दिल चहकने लगा है!
मोहब्बत तुम्हारी घुली है फिजा में, के उपवन भी देखो महकने लगा है....
खनक चूड़ियों की बजे स्वर तुम्हारा, के तुमसे ही भावों का उद्भव हुआ है!
के टूटी है चुप्पी तुम्ही से ग़मों की, के तुमसे ही जीवन में वैभव हुआ है!
सुनो "देव" आंगन में रौनक है तुमसे, के तुमसे ही जीवन में कलरव हुआ है,
मैं हर्षित हूँ पाकर तुम्हारी मोहब्बत, के तुमसे ही जीवन में उत्सव हुआ है!
अँधेरा मिटे एक झलक से तुम्हारी, तुम्हारी मोहब्बत उजालों का रंग है!
है तू मेरे जीवन में लाली सुबह की, के तू चांदनी की तरह मेरे संग है!
के तू बन गई है मोहब्बत की बारिश, के जब भी मेरा मन दहकने लगा है!
मोहब्बत तुम्हारी घुली है फिजा में, के उपवन भी देखो महकने लगा है!"
.........................…चेतन रामकिशन "देव"…...........................
दिनांक-२८.११.२०१३
मोहब्बत घुली है फिजा में तुम्हारी, के उपवन भी देखो महकने लगा है!
मचलता है मन बस तुम्हारी ही खातिर, तुम्हारे लिए दिल बहकने लगा है!
भले एक चुप्पी है होठो पे लेकिन, ये दिल धीमे धीमे चहकने लगा है,
तुम्हारी मोहब्बत का एहसास करके, मेरा दिल ख़ुशी से लहकने लगा है!
तुम्हारी जरुरत है दिल को हमेशा, भले दिन हो हमदम, भले रात हो!
न दौलत की हसरत कभी मेरे दिल को, है ख्वाहिश यही बस तेरा साथ हो!
मुलाकात की एक तमन्ना जगी है, मुलाकात को दिल चहकने लगा है!
मोहब्बत तुम्हारी घुली है फिजा में, के उपवन भी देखो महकने लगा है....
खनक चूड़ियों की बजे स्वर तुम्हारा, के तुमसे ही भावों का उद्भव हुआ है!
के टूटी है चुप्पी तुम्ही से ग़मों की, के तुमसे ही जीवन में वैभव हुआ है!
सुनो "देव" आंगन में रौनक है तुमसे, के तुमसे ही जीवन में कलरव हुआ है,
मैं हर्षित हूँ पाकर तुम्हारी मोहब्बत, के तुमसे ही जीवन में उत्सव हुआ है!
अँधेरा मिटे एक झलक से तुम्हारी, तुम्हारी मोहब्बत उजालों का रंग है!
है तू मेरे जीवन में लाली सुबह की, के तू चांदनी की तरह मेरे संग है!
के तू बन गई है मोहब्बत की बारिश, के जब भी मेरा मन दहकने लगा है!
मोहब्बत तुम्हारी घुली है फिजा में, के उपवन भी देखो महकने लगा है!"
.........................…चेतन रामकिशन "देव"…...........................
दिनांक-२८.११.२०१३