♥♥♥♥♥♥♥♥ख्वाहिशों की होली♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥
किसी का दिल यहाँ होली के, जैसे जल रहा होगा!
कोई अपनी अमीरी में, उफन कर चल रहा होगा!
कोई भूखा है अरसे से, मगर ईमान रखता है,
कोई पर अपने मकसद में, जहाँ को छल रहा होगा!
जो मुफलिस भी पनप जाये, यहाँ ऐसा नहीं होता!
कोई खरबों में जीता है, कहीं पैसा नहीं होता!
यहाँ पर "देव" मजलूमों की, अर्जी कौन सुनता है,
यहाँ पीड़ित जो चाहता है, कभी वैसा नहीं होता!
अदालत में भी मुफ़लिस का, मुकदमा टल रहा होगा!
किसी का दिल यहाँ होली के, जैसे जल रहा होगा!"
..................चेतन रामकिशन "देव".................
दिनांक-२७.०३.२०१३