♥♥♥♥♥♥♥जीवन पथ पर साथ रहो तुम…♥♥♥♥♥♥♥
जीवन पथ पर साथ रहो तुम, मुझे अकेले डर लगता है!
बिना तुम्हारे मुझको अपना सूना सूना घर लगता है!
तुमको जबसे पाया मैंने, आदत मुझको हुयी तुम्हारी!
इसीलिए तुमको खोने का, गुम होना का डर लगता है!
इश्क़ है तुमसे और मोहब्बत, और हमारा प्यार तुम्ही हो!
मेरे जीवन की कुटिया में, खुशियों का संसार तुम्ही हो!
तेरी ज़ुल्फ़ों की बूंदों से, भीगा ये अम्बर लगता है!
जीवन पथ पर साथ रहो तुम, मुझे अकेले डर लगता है!
नहीं दूर जाना पल भर भी, एक पल मुझको साल लगे है!
बिना तुम्हारे दिल न सोये, सारी सारी रात जगे है!
"देव" तुम्हारा रूप देखकर, हंसी चांदनी खिल जाती है,
और मेरे जीवन को हमदम, धूप प्यार की मिल जाती है!
पेड़ों के छाया की नीचे, चुपके चुपके बात करेंगे!
तेरे प्यार में ही दिन होगा, तेरे प्यार में रात करेंगे!
बिना तुम्हारे थमी उड़ानें, टूटा टूटा पर लगता है!
जीवन पथ पर साथ रहो तुम, मुझे अकेले डर लगता है!"
..................चेतन रामकिशन "देव"…...................
दिनांक- ११.०४.२०१४
जीवन पथ पर साथ रहो तुम, मुझे अकेले डर लगता है!
बिना तुम्हारे मुझको अपना सूना सूना घर लगता है!
तुमको जबसे पाया मैंने, आदत मुझको हुयी तुम्हारी!
इसीलिए तुमको खोने का, गुम होना का डर लगता है!
इश्क़ है तुमसे और मोहब्बत, और हमारा प्यार तुम्ही हो!
मेरे जीवन की कुटिया में, खुशियों का संसार तुम्ही हो!
तेरी ज़ुल्फ़ों की बूंदों से, भीगा ये अम्बर लगता है!
जीवन पथ पर साथ रहो तुम, मुझे अकेले डर लगता है!
नहीं दूर जाना पल भर भी, एक पल मुझको साल लगे है!
बिना तुम्हारे दिल न सोये, सारी सारी रात जगे है!
"देव" तुम्हारा रूप देखकर, हंसी चांदनी खिल जाती है,
और मेरे जीवन को हमदम, धूप प्यार की मिल जाती है!
पेड़ों के छाया की नीचे, चुपके चुपके बात करेंगे!
तेरे प्यार में ही दिन होगा, तेरे प्यार में रात करेंगे!
बिना तुम्हारे थमी उड़ानें, टूटा टूटा पर लगता है!
जीवन पथ पर साथ रहो तुम, मुझे अकेले डर लगता है!"
..................चेतन रामकिशन "देव"…...................
दिनांक- ११.०४.२०१४