♥♥♥गाँधी चित्रित नोट..♥♥♥
गाँधी चित्रित नोट के सब दीवाने हैं,
पर गाँधी की राह कोई चलता ही नहीं!
हमने हिंसा के दिन इतने दीर्घ किये,
नफरत का सूरज देखो ढलता ही नहीं!
खून बहाकर भी होता अफ़सोस नहीं,
बर्फ किसी की आँखों से गलता ही नहीं!
पर इस बात का इल्म कभी भी कर लेना,
इस हिंसा से कोई गुल खिलता ही नहीं!
"देव" न दौलत की खातिर रिश्ते बेचो,
बस दौलत से रूह को सुख मिलता ही नहीं!"
"
जरा सोचें, एक तरफ तो नफरत से कुछ भी तो नहीं मिलता, बस बहता है खून, जलती हैं चितायें, टूटता है मानवता का रिश्ता, छूटते हैं अपने जबकि दूसरी तरफ प्रेम और सदभाव से, गुल खिलते हैं, मानवीयता का सम्बन्ध मजबूत होता है! तो आइये चिंतन करें! "
चेतन रामकिशन "देव"
दिनांक- ०३.०४.२०१२
"शुभ-दिन"
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