Saturday 8 February 2014

♥♥दिल की निदा…♥♥

♥♥♥♥♥♥दिल की निदा…♥♥♥♥♥♥♥♥
पूजता हूँ मैं पत्थरों को, खुदा मिल जाये!
कोई इंसां मुझे दुनिया से जुदा मिल जाये!

इसी उम्मीद में खोली हैं खिड़कियां मैंने,
जिंदा रहने को मुझे थोड़ी हवा मिल जाये!

प्यार ने बख्शा है मुझको यहाँ पे दर्द बहुत,
दर्द को सोख ले, कोई ऐसी दवा मिल जाये!

तेरी तस्वीर से मैं बात किया करता हूँ,
क्या खबर मुझको, जिंदगी की अदा मिल जाये!

चुप रहा करता हूँ बस इतना सोचता हूँ मैं,
मेरी लफ्ज़ों की वो खोई सी, सदा मिल जाये!

वो मेरी रूह से वाकिफ़ ही, हो गया होगा,
जिसको चुप रहके मेरे दिल की निदा मिल जाये!

"देव" हारा हुआ मुझको समझना उस दिन तुम,
जिंदगी को मेरी जिस रोज, विदा मिल जाये!"

...............चेतन रामकिशन "देव"….........
दिनांक-०८.०२.२०१४