♥♥♥♥♥♥♥♥♥काश समझते मेरे मन.♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥
काश समझते मेरे मन को, काश मेरे दिल को पढ़ पाते!
न ही मुझसे दूरी करते, न ही मुझसे नजर चुराते!
बिना मेरा दिल पढ़े भला तुम, कैसे मेरे भाव समझते!
अपनेपन के भावों के बिन, कैसे मेरे घाव समझते!
"देव" अगर तुम इक अक्षर भी, पढ़ लेते मेरी चाहत का,
तो तुम मेरे दर्द समझकर, आँखों का सैलाब समझते!
मुझे गिराकर तुम यूँ हमदम, अगली सीढ़ी न चढ़ जाते!
काश समझते मेरे मन को, काश मेरे दिल को पढ़ पाते!"
..................चेतन रामकिशन "देव"..................
दिनांक-०९.०४.२०१३