Saturday, 8 March 2014

♥आलेखन का रंग…♥

♥♥♥♥♥♥♥♥♥आलेखन का रंग…♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥
आलेखन का रंग तुम्हारे, जीवन में भरना चाहता हूँ!
वक्र तुम्हारी नाराज़ी का, मैं सीधा करना चाहता हूँ!
अपनी सारी खुशियां तेरे, जीवन को मैं अर्पण करके,
हमदम तेरे जीवन से मैं, सारा दुख हरना चाहता हूँ!

नहीं पता तुम क्यूँ रूठी हो, नहीं पता क्यूँ मुँह मोड़ा है!
नहीं पता क्यूँ तुमने मेरे, प्यार भरे दिल को तोड़ा है!

दोष नहीं है फिर भी तुमसे, क्षमा भाव करना चाहता हूँ!
आलेखन का रंग तुम्हारे, जीवन में भरना चाहता हूँ!

पीड़ा मन को बहुत सताती, हँसने में भी दुख होता है!
बिना तुम्हारे नहीं जानता, किस रंग का ये सुख होता है!
"देव" तुम्हारे बिना हमारी, आँखों में सूनापन दिखता,
खून जरा भी नहीं बदन में, उतरा उतरा मुख होता है!

कलम में शक्ति, मन में भक्ति, जीवन में उत्साह नहीं है!
बिना तुम्हारे तन्हा तन्हा, जीवन का निर्वाह नहीं है!

बिना तुम्हारे तन्हा जीता, और यूँ ही मरना चाहता हूँ!
आलेखन का रंग तुम्हारे, जीवन में भरना चाहता हूँ!"

.................चेतन रामकिशन "देव"…...............
दिनांक-०८.०३.२०१४