Tuesday 30 April 2013

♥♥प्रेम ग्रन्थ..♥♥



♥♥♥♥♥प्रेम ग्रन्थ..♥♥♥♥♥♥
प्रेम ग्रन्थ का विषय तुम्ही हो!
तुम कोमल हो, विनय तुम्ही हो!
तुम्ही चाँद की धवल चांदनी,
और सूर्य का उदय तुम्ही हो!

तुम्ही शाम हो, तुम्हीं सवेरा,
तुम्ही दिवस के हर पल में हो!
तुम्ही हमारी पथ प्रदर्शक,
तुम्ही हमारे कौशल में हो!
तुम लेखन में, तुम चिंतन में,
तुम्ही भाव की प्रखरता में,
तुम उर्जा में, तुम शक्ति में,
तुम्ही हमारे संबल में हो!

असीमित है, प्रेम तुम्हारा,
व्यापकता का वलय तुम्ही हो!
तुम्ही चाँद की धवल चांदनी,
और सूर्य का उदय तुम्ही हो..

तुम दर्शन की इच्छाओं में,
श्रवण का संगीत तुम्ही हो!
भले ही भौतिक जीवन है ये,
किन्तु मौलिक प्रीत तुम्ही हों!
"देव" तुम्हीं मेरे जीवन के,
प्रबंधन का अनुकथन हो,
तुम प्रभावी संबोधन में,
और सुरीला गीत तुम्हीं हो!

तुम्ही विजय की गौरव गाथा,
और संघर्षी अभय तुम्हीं हो!
तुम्ही चाँद की धवल चांदनी,
और सूर्य का उदय तुम्ही हो!"

..चेतन रामकिशन "देव"..
दिनांक-३०.०४.२०१३

"सर्वाधिकार सुरक्षित"