Tuesday 9 October 2012


♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥मन की सोच..♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥
सुन्दर रखो मन को अपने, दुरित भावना न अपनाओ!
मानवता के प्रहरी बनकर, अपनायत के दीप जलाओ!

जीवन में संसाधन हेतु, सीमित धन का संचय कर लो,
किंतु इस दौलत को अपनी, तुम कमजोरी नहीं बनाओ!

ये जीवन है चार दिनों का, दुःख में इसे बिताते क्यूँ हो,
संतुष्टि को धारण करके, इस जीवन में खुशी मनाओ!

जीवन की ये आपा धापी, चलती रहती है जीवन भर,
इसीलिए तुम इस जीवन की, परीक्षाओं से न घबराओ!

ये पक्का है इक दिन अपनी, मेहनत देखो रंग लाएगी,
"देव" यही आशा लेकर के, तुम जीवन में बढ़ते जाओ!"

........."शुभ-दिन"......चेतन रामकिशन "देव".........


♥♥♥♥♥♥दर्द का आसमान..♥♥♥♥♥♥♥
दर्द का आसमान, जिंदगी पे छाने लगा!
उसकी यादों का असर, आज फिर सताने लगा!

जो कल तलक मेरा हमदर्द, मेरा अपना था,
आज वो शख्स ही, मुझसे नजर चुराने लगा!

आज कल रिश्तों का कैसा, हश्र हुआ देखो,
भाई अपने ही भाई का, लहू बहाने लगा!

जिसको ताक़त यहाँ मिल जाती है, धन दौलत की,
वही इन्सान गरीबों पे, कहर ढ़ाने लगा!

"देव" अब देखिये हालात कैसे आये हैं,
आईना भी मेरी सूरत को, अब भुलाने लगा!"

............चेतन रामकिशन "देव".................