♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥मन की सोच..♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥
सुन्दर रखो मन को अपने, दुरित भावना न अपनाओ!
मानवता के प्रहरी बनकर, अपनायत के दीप जलाओ!
जीवन में संसाधन हेतु, सीमित धन का संचय कर लो,
किंतु इस दौलत को अपनी, तुम कमजोरी नहीं बनाओ!
ये जीवन है चार दिनों का, दुःख में इसे बिताते क्यूँ हो,
संतुष्टि को धारण करके, इस जीवन में खुशी मनाओ!
जीवन की ये आपा धापी, चलती रहती है जीवन भर,
इसीलिए तुम इस जीवन की, परीक्षाओं से न घबराओ!
ये पक्का है इक दिन अपनी, मेहनत देखो रंग लाएगी,
"देव" यही आशा लेकर के, तुम जीवन में बढ़ते जाओ!"
........."शुभ-दिन"......चेतन रामकिशन "देव".........