Saturday 16 February 2013

♥शब्दों के मोती.♥


♥♥♥♥शब्दों के मोती.♥♥♥♥
आँखों में कुछ सपने बुनकर,
अपने मन की बोली सुनकर,
फिर से एक कविता लिखता हूँ,
मैं शब्दों के मोती चुनकर!

नहीं पता के इस कविता में,
कौनसा रस है, अलंकार है!
नहीं पता के इस कविता का,
जीवन कितना यादगार है!
नहीं पता के इस कविता में,
कितनी खामी और कमी है,
नहीं पता के इस कविता का,
लेखन कितना असरदार है!

किन्तु फिर भी मुझे चमकता,
शब्दों में आशा का दिनकर!
फिर से एक कविता लिखता हूँ,
मैं शब्दों के मोती चुनकर!"

...चेतन रामकिशन "देव"...
दिनांक-१६.०२.२०१३