♥♥♥जीत की लय...♥♥♥
अपनी मंजिल तय करनी है!
हमें जीत की लय करनी है!
झूठ भले कितना भी घेरे,
हमें सत्य की जय करनी है!
रात ग़मों की गहराये तो,
चाँद से हम उजियारा लेंगे!
प्यास सताएगी जब हमको,
तो आँखों से धारा लेंगे!
धीरे धीरे, हौले हौले,
कर लेंगे मजबूत जड़ों को,
अगर रौशनी मंद पड़ेगी,
तो अम्बर से तारा लेंगे!
सोच हमें अपने तन मन की,
मेहनत में तन्मय करनी है!
झूठ भले कितना भी घेरे,
हमें सत्य की जय करनी है...
पथ बेशक पथरीला है पर,
काँटों से न घबराना है!
भले फिसल के गिर जायें पर,
फिर से हमको उठ जाना है!
"देव" भले ही इस जीवन का,
हमको कोई पता नहीं है,
लेकिन हमको जीते जी न,
इस जीवन में थक जाना है!
मुश्किल के लम्हातों में भी,
हंसकर हमे विजय करनी है!
झूठ भले कितना भी घेरे,
हमें सत्य की जय करनी है!"
......चेतन रामकिशन "देव"…...
दिनांक-२७.०२.२०१४
अपनी मंजिल तय करनी है!
हमें जीत की लय करनी है!
झूठ भले कितना भी घेरे,
हमें सत्य की जय करनी है!
रात ग़मों की गहराये तो,
चाँद से हम उजियारा लेंगे!
प्यास सताएगी जब हमको,
तो आँखों से धारा लेंगे!
धीरे धीरे, हौले हौले,
कर लेंगे मजबूत जड़ों को,
अगर रौशनी मंद पड़ेगी,
तो अम्बर से तारा लेंगे!
सोच हमें अपने तन मन की,
मेहनत में तन्मय करनी है!
झूठ भले कितना भी घेरे,
हमें सत्य की जय करनी है...
पथ बेशक पथरीला है पर,
काँटों से न घबराना है!
भले फिसल के गिर जायें पर,
फिर से हमको उठ जाना है!
"देव" भले ही इस जीवन का,
हमको कोई पता नहीं है,
लेकिन हमको जीते जी न,
इस जीवन में थक जाना है!
मुश्किल के लम्हातों में भी,
हंसकर हमे विजय करनी है!
झूठ भले कितना भी घेरे,
हमें सत्य की जय करनी है!"
......चेतन रामकिशन "देव"…...
दिनांक-२७.०२.२०१४