Tuesday, 2 August 2011

♥प्रेम की पीड़ा ♥♥♥

♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥प्रेम की पीड़ा ♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥ 
"एक पल में ही चले गए हैं, मेरे दिल में रहने वाले!
 तस्वीरें सब जला चुके हैं, हमको अपना कहने वाले!
 सारे रिश्ते तोड़ चुके हैं, तोड़ गए बंधन और नाते,
 छोड़ गए सागर में तनहा, मेरे संग में बहने वाले!

आशाओं के दीप बुझाकर, शोक भरा संगीत बजाकर,
प्यार को कदमों तले दबाकर, चले गए हैं गैर बताकर!

लहू बहाके चले गए वो, संग संग पीड़ा सहने वाले!
एक पल में ही चले गए हैं, मेरे दिल में रहने वाले.....

ना सोचा था कच्ची होगी, उनके प्रेम की डोर!
पहले सुख देकर के हमको, गम देंगे घनघोर!
किन्तु हम उनकी चाहत को दफ़न नहीं कर सकते,
हमने प्रेम किया है सच्चा, मेरे मन ना चोर!

जीते जी वो लाश बनाकर, अरमानों का गला दबाकर!
प्यार के सारे गीत भुलाकर, चले गए हैं गैर बताकर!

अग्नि जैसे दहक रहे हैं, खुद को चन्दन कहने वाले!
एक पल में ही चले गए हैं, मेरे दिल में रहने वाले......

ना ही उनका बुरा सोचता, "देव" ना  देता श्राप!
एक दिन होगा उनको अपने, कर्म का पश्चाताप!
उनकी दुरित भावना उनको, छोड़ नहीं पायगी,
कितनी भी वो करें इबादत, कितने करलें जाप!

मुझको वो पाषाण बताकर, मेरे ह्रदय में शूल चुभाकर!
दुश्मन जैसा मुझे सताकर, चले गए हैं गैर बताकर!

कंटक जैसे बने नुकीले, खुद को उपवन कहने वाले!
एक पल में ही चले गए हैं, मेरे दिल में रहने वाले!"

"प्रेम, की पीड़ा व्यक्ति को हतौत्साहित करती है और उसके आत्मविश्वास और कार्य शैली पर भी प्रभाव पड़ता है! व्यक्ति इस पीड़ा में न चाहते हुए भी समाज से अलग थलग हो जाता है! तो आइये किसी को इस पीड़ा को देने से पहले चिंतन करें-चेतन रामकिशन "देव"