♥♥♥♥♥♥दमकती धूप..♥♥♥♥♥♥♥♥
सूरज का उजाला है, दमकती ये धूप है!
जीवन कभी सुन्दर, कभी होता कुरूप है!
किन्तु कभी जीवन से, कोई खेद न करना,
हँसना कभी, रोना यही, जीवन का रूप है!
फूलों की त्वचा है, कभी दुख का पठार है!
जीवन में सुनामी, कभी सुख की बहार है!
जीवन का सदा ऐसा ही, होता स्वरूप है!
सूरज का उजाला है, दमकती ये धूप है..
जीवन कभी एक अंश पे, स्थिर नही होता!
जीवन सदा उल्लास का, सागर नहीं होता!
जीवन में "देव"आती हैं, उलझन नई नई,
जीवन सदा तारों भरा, अम्बर नहीं होता!
खोना कभी पाना, यही जीवन की गति है!
जीवन में कभी हर्ष, कभी दुख की क्षति है!
जीवन कभी सूखा, कभी देखो अनूप है!
सूरज का उजाला है, दमकती ये धूप है!"
..........चेतन रामकिशन "देव".........
दिनांक-११.०२.२०१३