Monday 12 September 2016

♥♥♥♥प्रेम का पक्ष....♥♥♥♥

♥♥♥♥प्रेम का पक्ष....♥♥♥♥
प्रेम का पक्ष है,
मेरे समकक्ष है,
साथ तेरे रहूँ,
बस यही लक्ष है।
देखो आकाश में,
खिल गया चंद्रमा,
तेरे मेरे मिलन का,
जो उपलक्ष है।

मेरे अपनत्व में, तुम मेरे नेह में।
तुम मेरी आत्मा, तुम मेरी देह में।
तुमको देखा तो देखो खिले फूल भी,
हर्ष की पत्तियां, तुम तना, मूल भी।

तू मेरा केंद्र बिंदु,
तू ही अक्ष है।
तेरे मेरे मिलन का,
जो उपलक्ष है।

प्रेम का संचलन, आंकलन और मनन।
है यही प्रार्थना, तेरा हो आगमन।
"देव " तुमसे कभी भी विरक्ति न हो।
भूलकर भी विरह की विपत्ति न हो।

मेरे मन को पढ़े,
तू सबल, दक्ष है।
तेरे मेरे मिलन का,
जो उपलक्ष है।

......चेतन रामकिशन "देव"……
दिनांक-१२.०९ .२०१६
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