Tuesday 21 August 2012


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जहाँ वासना की आशा हो, वहां पे सच्चा प्यार नहीं है!
जो दिल की पीड़ा न समझे, वो अपना दिलदार नहीं है!

दुनिया में दौलत पाने को, क्यूँ अपना ईमान बेचना,

कौन उन्हें कहता है अच्छा, सच जिनका किरदार नहीं है!

वही लोग एकजुटता करके, विजय पताका फहराते हैं,

जिनके दिल में जात-धर्म की, खड़ी कोई दीवार नहीं है!

सोने, चांदी, घर, जमीन की सभी वसीयत चाहते लेकिन,

उन बूढ़े माँ बाप के आंसू का, कोई हकदार नहीं है!

आबादी तो "देव" मुल्क की, एक अरब से ऊपर पहुंची,

लेकिन अब अशफाक, भगत की, मुल्क में पैदावार नहीं है!"


चेतन रामकिशन "देव"