Tuesday, 21 January 2014

♥♥♥ज़ख्मों की दवा...♥♥♥

♥♥♥♥♥♥♥ज़ख्मों की दवा...♥♥♥♥♥♥♥♥
हम तो तेज़ाब से ज़ख्मों की दवा करते हैं!
तू नही तो तेरी यादों से वफ़ा करते हैं!

रात दिन तूने हमें दर्द, बद्दुआ बख्शी,
हम तेरी वास्ते लेकिन के, दुआ करते हैं!

अपनी तन्हाई में हम तेरे ख्यालों को बुला,
तेरी तस्वीर को हौले से छुआ करते हैं!

जिंदा इंसान की न हमको कदर है लेकिन,
पूजके हम भले पत्थर को खुदा करते हैं! 

किसी इंसान के ज़ज्बात को कुचलकर के,
जिस्म को लोग यहाँ जां से जुदा करते हैं!

न मिली दर्द की फसलों की हमें लागत भी,
लोग हर हाल में अपना ही नफ़ा करते हैं!

"देव" ये लोग शराबों पे रकम फूंके पर,
किसी भूखे को मगर घर से दफ़ा करते हैं!"

...........चेतन रामकिशन "देव"…........
दिनांक-२१.०१.२०१४