Tuesday, 26 August 2014

♥♥वक़्त के साथ...♥♥


♥♥♥♥वक़्त के साथ...♥♥♥♥
वक़्त के साथ जो बदल जाता!
तो मुझे याद वो नहीं आता!

अपने दिल को जो तोड़ लेता मैं,
प्यार का दीप फिर न जल पाता!

किसको फुर्सत थी मेरा दर्द सुने,
कौन चाहत के फूल बिखराता!

जी तो सकता हूँ इन दवाओं से,
चैन तुम बिन मुझे नहीं आता!

कोई तुमसे नहीं मिला मुझको,
जो मेरे दिल को ख्वाब दिखलाता!

तुमने चाहा ही न कभी दिल से,
वरना चाहत का फूल खिल जाता!

"देव" तुमसे नहीं गिला, शिकवा,
जो न किस्मत में, वो न मिल पाता!

.......चेतन रामकिशन "देव"…...
दिनांक-२७.०८. २०१४