♥♥♥♥♥♥♥♥माँ......♥♥♥♥♥♥♥♥
माँ की आँखों का प्यार प्यारा है।
मैं हूँ साहिल तो माँ किनारा है।
मेरे कानों में तब शहद सा घुले,
जब भी माँ ने मुझे पुकारा है।
देखकर माँ को चैन मिलता है।
घर में ममता का फूल खिलता है।
माँ से रौशन ये घर हमारा है।
माँ की आँखों का प्यार प्यारा है....
माँ सुगन्धित बहार जैसी है।
माँ की बोली सितार जैसी है।
माँ के स्पर्श से मिटा पीड़ा,
माँ तो शीतल फुहार जैसी है।
माँ से ऊँचा न कोई रिश्ता है।
माँ तो धरती पे एक फरिश्ता है।
माँ ने ही आज कल संवारा है।
माँ की आँखों का प्यार प्यारा है।
माँ सुखद लोरियों की गायक है।
माँ सुखद भावना की वाहक है।
"देव" माँ का ये कद धरा जैसा,
माँ तपस्वी है और साधक है।
माँ उमंगों में, माँ तरंगों में।
माँ ही शामिल है, सात रंगों में।
माँ तो ममता की दिव्य धारा है।
माँ की आँखों का प्यार प्यारा है। "
अपनी दोनों माताओं को सादर समर्पित।
........चेतन रामकिशन "देव"……
दिनांक-०८.०७.२०१६
" सर्वाधिकार C/R सुरक्षित। "
मेरी ये कविता मेरी वेबसाइट http://www.kavicrkdev.com/ एवं ब्लॉग https://chetankavi.blogspot.in/ पर पूर्व प्रकाशित।
माँ की आँखों का प्यार प्यारा है।
मैं हूँ साहिल तो माँ किनारा है।
मेरे कानों में तब शहद सा घुले,
जब भी माँ ने मुझे पुकारा है।
देखकर माँ को चैन मिलता है।
घर में ममता का फूल खिलता है।
माँ से रौशन ये घर हमारा है।
माँ की आँखों का प्यार प्यारा है....
माँ सुगन्धित बहार जैसी है।
माँ की बोली सितार जैसी है।
माँ के स्पर्श से मिटा पीड़ा,
माँ तो शीतल फुहार जैसी है।
माँ से ऊँचा न कोई रिश्ता है।
माँ तो धरती पे एक फरिश्ता है।
माँ ने ही आज कल संवारा है।
माँ की आँखों का प्यार प्यारा है।
माँ सुखद लोरियों की गायक है।
माँ सुखद भावना की वाहक है।
"देव" माँ का ये कद धरा जैसा,
माँ तपस्वी है और साधक है।
माँ उमंगों में, माँ तरंगों में।
माँ ही शामिल है, सात रंगों में।
माँ तो ममता की दिव्य धारा है।
माँ की आँखों का प्यार प्यारा है। "
अपनी दोनों माताओं को सादर समर्पित।
........चेतन रामकिशन "देव"……
दिनांक-०८.०७.२०१६
" सर्वाधिकार C/R सुरक्षित। "
मेरी ये कविता मेरी वेबसाइट http://www.kavicrkdev.com/ एवं ब्लॉग https://chetankavi.blogspot.in/ पर पूर्व प्रकाशित।