Tuesday 24 January 2012


♥♥♥♥♥♥♥कैसे लिख दूँ हिन्दुस्तानी....♥♥♥♥♥♥♥♥
भारत माँ के तन से बहता,खून जिन्हें लगता है पानी!
भारत माँ के घाव देखकर, जो रखते हैं सुप्त जवानी!
जिन लोगों को देश के झुक जाने से कोई लाज नहीं,
ऐसे लोगों को आखिर में, कैसे लिख दूँ हिन्दुस्तानी!

जिन लोगों का मन नहीं जानता, देश प्रेम का अर्थ!
ऐसे लोगों का जन्म व्यर्थ है और मरना भी व्यर्थ!

जिन लोगों ने भारत की कीमत कभी नहीं पहचानी!
ऐसे लोगों को आखिर में, कैसे लिख दूँ हिन्दुस्तानी.......

जो जन अपने लाभ में करते हैं भारत को नीलाम!
जो जन धर्मवाद में करते, इस देश में कत्ले-आम!
जिन लोगों के काटनी चाही है चैन अमन की डोरी,
तारीखों में कभी न रोशन होता इन लोगों का नाम!

ऐसे लोग नहीं बन सकते हैं, कभी भी प्रेरणावान!
जिन्होंने अपने कदम के नीचे रखा है हिंदुस्तान!

आजादी के किरदारों की झूठी लगती जिन्हें कहानी!
ऐसे लोगों को आखिर में, कैसे लिख दूँ हिन्दुस्तानी.......

जिस धरती पे जन्म लिया, वो धरती माँ जैसे प्यारी!
हमको अपनी गोद में रखे, जन्म-मरण की नातेदारी!
"देव"कभी भी उन लोगों की नम आँखों से याद न आए,
जिन लोगों ने देश के संग में, हर पल की कोई गद्दारी!

मातृभूमि की करें वंदना, आओ करें इसका सम्मान!
हम नहीं करेंगे, नहीं सहेंगे,  इस भारत का अपमान!

जिन लोगों ने मातृभूमि के लिए कोई सोच न ठानी!
ऐसे लोगों को आखिर में, कैसे लिख दूँ हिन्दुस्तानी!"


" देश में पैदा होने मात्र से, हम देशवासी तो कहलाये जा सकते हैं, परन्तु देश-प्रेमी नहीं! और हमारा कर्तव्य है कि, हम जिस देश में जन्म लें, उस देश से प्रेम करें, तो आइये चिंतन करें!"


चेतन रामकिशन "देव"
दिनांक--२५.०१.२०१२