♥♥♥♥♥♥♥बदलते आदमी..♥♥♥♥♥♥♥
आसां नहीं है इतना, कैसे तुम्हें भुला दूँ!
कैसे मैं प्यार वाले, वो खत सभी जला दूँ!
दिल कहता है के उसको, तुम ढूंढकर के लाओ,
पर जो बदल गया है, कैसे उसे बुला दूँ!
जीना है अब तो तन्हा, खुद को सिखा रहा हूँ!
ग़म पी रहा हूँ खुद ही, आँसू सुखा रहा हूँ!
अरमां जो हैं मचलते, कैसे उन्हें सुला दूँ!
आसां नहीं है इतना, कैसे तुम्हें भुला दूँ...
जी लूंगा तंग होकर, सांसों की इस कमी में!
कर लूंगा कंठ गीला, एहसास की नमी में!
अब "देव" किसको अपना, समझेंगे जिंदगी में,
जब प्यार ही नहीं है, बाकि जो आदमी में!
एहसास की मोहब्बत, पल में नकार डाली!
झोली में मेरी तुमने, जीवन की हर डाली!
हिम्मत है तोड़ डाली, कैसे कदम चला दूँ!
आसां नहीं है इतना, कैसे तुम्हें भुला दूँ! "
...........चेतन रामकिशन "देव"….......
दिनांक- १२.०६.२०१४
आसां नहीं है इतना, कैसे तुम्हें भुला दूँ!
कैसे मैं प्यार वाले, वो खत सभी जला दूँ!
दिल कहता है के उसको, तुम ढूंढकर के लाओ,
पर जो बदल गया है, कैसे उसे बुला दूँ!
जीना है अब तो तन्हा, खुद को सिखा रहा हूँ!
ग़म पी रहा हूँ खुद ही, आँसू सुखा रहा हूँ!
अरमां जो हैं मचलते, कैसे उन्हें सुला दूँ!
आसां नहीं है इतना, कैसे तुम्हें भुला दूँ...
जी लूंगा तंग होकर, सांसों की इस कमी में!
कर लूंगा कंठ गीला, एहसास की नमी में!
अब "देव" किसको अपना, समझेंगे जिंदगी में,
जब प्यार ही नहीं है, बाकि जो आदमी में!
एहसास की मोहब्बत, पल में नकार डाली!
झोली में मेरी तुमने, जीवन की हर डाली!
हिम्मत है तोड़ डाली, कैसे कदम चला दूँ!
आसां नहीं है इतना, कैसे तुम्हें भुला दूँ! "
...........चेतन रामकिशन "देव"….......
दिनांक- १२.०६.२०१४