♥♥♥♥♥♥♥प्यार की धारा..♥♥♥♥♥♥♥♥
न मन में तेरे खोट है, न दिल में बदी है!
अच्छाई भी जिन्दा हैं सखी, तू जो यदि है!
जब भी तुझे देखा, मेरा चेहरा चमक उठा,
तू प्यार की धारा से भरी,कोई नदी है!
ये तेरी मोहब्बत, मेरे दिल का करार है!
बारिश की बूंद जैसी, तू रिमझिम फुहार है!
तुझसे ही मेरी जिंदगी से, फूलों से लदी है!
न मन में तेरे खोट है, न दिल में बदी है!"
.........चेतन रामकिशन "देव".........
दिनांक-११.०२.२०१३