Tuesday, 28 February 2012

♥आज का आदमी..♥


♥♥♥♥आज का आदमी..♥♥♥♥
आदमी क्यूँ बदलता जा रहा है!
भावना क्यूँ मसलता जा रहा है!

प्रेम से अब कोई मतलब नहीं है,
दिल को ऐसे कुचलता जा रहा है!

कौनसी हसरतें चाहता है जाने,
जाने किस ओर चलता जा रहा है!

देखकर और की खुशियाँ न जाने,
अपने-आपे में जलता जा रहा है!

"देव" अब खून के रिश्ते कहाँ हैं,
आदमी सबको छलता जा रहा है!"


" पता नहीं क्यूँ वक़्त बदला है या आदमी, पर आदमी अब आदमी जैसा दिखता तो है पर भीतर से इन्सानियत मरती जा रही है! तो आइये कोशिश करें के अपने भीतर के आदमी को जिन्दा रख सकें!"

चेतन रामकिशन "देव"
दिनांक--२९.०२.२०१२