♥♥♥♥♥♥♥♥वजह ...♥♥♥♥♥♥♥♥♥
मुझसे मिलने की क्या वजह होगी।
उसके दिल में क्या कुछ जगह होगी।
क्या मिलेंगे मुझे मिलन के पल,
या बताओ के फिर विरह होगी।
दर्द की रात कितनी लम्बी है,
क्या कभी इसकी भी सुबह होगी।
रंजिशें रखता है जो मुझसे बहुत,
कैसे उस शख्स से सुलह होगी।
वो न समझेंगे तो दुखेगा दिल,
उनसे तक़रार बेवजह होगी।
कितना उड़ जाये पर नही वो गिरे,
सच की क़दमों में गर सतह होगी।
"देव" जो होगा, देखा जायेगा,
या मिलन होगा के, कलह होगी। "
........चेतन रामकिशन "देव"…….
दिनांक-०८.०८.२०१५
" सर्वाधिकार C/R सुरक्षित।
मुझसे मिलने की क्या वजह होगी।
उसके दिल में क्या कुछ जगह होगी।
क्या मिलेंगे मुझे मिलन के पल,
या बताओ के फिर विरह होगी।
दर्द की रात कितनी लम्बी है,
क्या कभी इसकी भी सुबह होगी।
रंजिशें रखता है जो मुझसे बहुत,
कैसे उस शख्स से सुलह होगी।
वो न समझेंगे तो दुखेगा दिल,
उनसे तक़रार बेवजह होगी।
कितना उड़ जाये पर नही वो गिरे,
सच की क़दमों में गर सतह होगी।
"देव" जो होगा, देखा जायेगा,
या मिलन होगा के, कलह होगी। "
........चेतन रामकिशन "देव"…….
दिनांक-०८.०८.२०१५
" सर्वाधिकार C/R सुरक्षित।