Saturday, 8 August 2015

♥♥वजह ...♥♥

♥♥♥♥♥♥♥♥वजह ...♥♥♥♥♥♥♥♥♥
मुझसे मिलने की क्या वजह होगी। 
उसके दिल में क्या कुछ जगह होगी। 

क्या मिलेंगे मुझे मिलन के पल,
या बताओ के फिर विरह होगी। 

दर्द की रात कितनी लम्बी है,
क्या कभी इसकी भी सुबह होगी। 

रंजिशें रखता है जो मुझसे बहुत,
कैसे उस शख्स से सुलह होगी। 

वो न समझेंगे तो दुखेगा दिल,
उनसे तक़रार बेवजह होगी। 

कितना उड़ जाये पर नही वो गिरे,
सच की क़दमों में गर सतह होगी। 

"देव" जो होगा, देखा जायेगा,
या मिलन होगा के, कलह होगी। "

........चेतन रामकिशन "देव"…….
दिनांक-०८.०८.२०१५ 
" सर्वाधिकार C/R सुरक्षित।

♥♥पासा...♥♥

♥♥♥♥♥♥♥पासा...♥♥♥♥♥♥♥♥♥
न ही मरहम है, न दिलासा है। 
ढोंग है, झूठ है, तमाशा है। 

मेरी खिदमत बताओ अब क्यों भला,
कौनसी चाल का ये पासा है। 

प्यार का मेरे क़त्ल कर डाला,
क्या गुनाह तुमको ये जरा सा है। 

भूखे माँ बाप तरसें रोटी को,
जिनके बेटों पे नोट ख़ासा है। 

जो गुनहगार थे वो बच निकले,
बेगुनाहों को तुमने फांसा है। 

आसमां झाँका, नींद आई नहीं,
दर्द आँखों में बेतहाशा है। 

"देव" है नौजवां की बदहाली,
हाथ खाली है, और हताशा है। " 

........चेतन रामकिशन "देव"…….
दिनांक-०८.०८.२०१५ 
" सर्वाधिकार C/R सुरक्षित।