Sunday, 14 August 2011

***हम खुद अपराधी हैं....**

**************हम खुद अपराधी हैं....**************
"  परिवर्तन की बात करें हम, नहीं मगर संकल्प!
   अपनी अपनी करना चाहें, यहाँ तो कायाकल्प!
   जात धर्म के नाम पे देते, नेताओं का साथ,
   बड़े गर्व से कहते हैं फिर, नहीं था कोई विकल्प!

  पहले खुद का करो आंकलन, हम भी हैं अपराधी!
  खुद देते हैं रिश्वत उनको, हम भी हैं सहभागी!

  पाषाणों के नाम पे लड़ते, सोच हमारी अल्प!
  परिवर्तन की बात करें हम, नहीं मगर संकल्प.....

  आजादी के दिन भी घर में, करते हैं मधपान!
  अपने बच्चो को सिखलाते, केवल झूठी शान!
  महापुरुषों के चित्र के सम्मुख नहीं दिए में तेल,
  तेल में बेशक बने पकोड़ी या कोई पकवान!

  अपने मन की सोच है दूषित, करते पर प्रहार!
  अपने मतलब में देते खुद, अफसर को उपहार!

  परिवर्तन की बात व्यर्थ है, यदि नहीं संकल्प!
 अपनी अपनी करना चाहें, यहाँ तो कायाकल्प!"


"सब कह रहे हैं कि, आजादी नहीं है, सही बात है पर क्या कभी अपना आंकलन किया? परिवर्तन की बात कथनी से नहीं करनी से होती है! यदि आजादी का स्वप्न देखना है तो "परिवर्तन का संकल्प लीजिये- चेतन रामकिशन "देव"