♥♥♥♥♥♥♥♥दीदार का हक़ ♥♥♥♥♥♥♥
दर्द मासूम है धीरे से इसे, सहला दो!
मेरे कुछ गीत सुनाकर के इसे बहला दो!
दर्द के चेहरे पे देखो है जमी धूल बहुत,
अपने एहसास की बूंदों से इसे नहला दो!
नफरतों के लिए न कोई खुले दरवाजा,
प्यार तुम चारों तरफ, इतना यहाँ फैला दो!
होने को तो यहाँ देखो हैं बहुत ही अपने,
अपने दीदार का हक़ मुझको मगर पहला दो!
जब जरुरत हो तुम्हें प्यार की हवाओं की,
अपनी दिल को मेरी बस्ती में जरा टहला दो!
ये तेरे ख्वाब मुझे रात भर हँसायेंगे,
अपना आँचल मेरी आँखों पे अगर फैला दो!
"देव" आ जायेगा पल भर में सामने तेरे,
तुम हवाओं से भी मिलने की खबर कहला दो! "
...........चेतन रामकिशन "देव"…...........
दिनांक-१५.०१.२०१४
दर्द मासूम है धीरे से इसे, सहला दो!
मेरे कुछ गीत सुनाकर के इसे बहला दो!
दर्द के चेहरे पे देखो है जमी धूल बहुत,
अपने एहसास की बूंदों से इसे नहला दो!
नफरतों के लिए न कोई खुले दरवाजा,
प्यार तुम चारों तरफ, इतना यहाँ फैला दो!
होने को तो यहाँ देखो हैं बहुत ही अपने,
अपने दीदार का हक़ मुझको मगर पहला दो!
जब जरुरत हो तुम्हें प्यार की हवाओं की,
अपनी दिल को मेरी बस्ती में जरा टहला दो!
ये तेरे ख्वाब मुझे रात भर हँसायेंगे,
अपना आँचल मेरी आँखों पे अगर फैला दो!
"देव" आ जायेगा पल भर में सामने तेरे,
तुम हवाओं से भी मिलने की खबर कहला दो! "
...........चेतन रामकिशन "देव"…...........
दिनांक-१५.०१.२०१४