♥♥♥♥♥♥चरागों की लौ...♥♥♥♥♥♥♥♥
चरागों की लौ का, उजाला है तुमसे।
मोहब्बत का हर ख्वाब, पाला है तुमसे।
तुम्हे देखकर ही, खिले चांदनी ये,
नहीं चाँद देखो, निराला है तुमसे।
हो तुम जो मेरे साथ, तो न अँधेरा,
तुम्हारी मोहब्बत में, कुछ ग़म नहीं है।
तुम्हारे ही अहसास से, मिलती ताक़त,
हराये जो मुश्किल में, वो दम नहीं हो।
तुम्हारे ही छूने से, कलियाँ उमड़तीं,
ये सुन्दर से फूलों की, माला है तुमसे
तुम्हे देखकर ही, खिले चांदनी ये,
नहीं चाँद देखो, निराला है तुमसे....
सफर ये तेरे बिन, नहीं है गुजरता।
दुआ मेरी खातिर, नहीं कोई करता।
तुम्ही "देव" देखो, वसे जिंदगी में,
यहाँ प्यार तुमसा, नहीं कोई करता।
तुम्हारे ही संग में है, मेरी दीवाली,
ये होली पे भी रंग, डाला है तुमसे।
तुम्हे देखकर ही, खिले चांदनी ये,
नहीं चाँद देखो, निराला है तुमसे। "
.......चेतन रामकिशन "देव"…....
दिनांक--२६.०१.१५