♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥आदमी..♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥
बहशियत को छोड़कर के, आदमी बनकर तो देखो!
तुम किसी मुफलिस के छाले, कुछ घड़ी गिनकर तो देखो!
रूह को आराम होगा और दिल भी चैन पाए,
तुम किसी बेघर की खातिर, घोंसला बुनकर तो देखो!
अपने आंसू, अपनी पीड़ा, कम लगेगी देखो उस दिन,
तुम किसी भूखे का दुखड़ा, कुछ घड़ी सुनकर तो देखो!
तब तुम्हे दुनिया में देखो, दर्द का एहसास होगा,
एक काँटा तुम किसी के, पांव से चुनकर तो देखो!
"देव" तुमको सारी दुनिया, अपने ही जैसी लगेगी,
छोड़कर काँटों की फितरत, फूल तुम बनकर तो देखो!"
..............…चेतन रामकिशन "देव"…................
दिनांक-२३.१०.२०१३
बहशियत को छोड़कर के, आदमी बनकर तो देखो!
तुम किसी मुफलिस के छाले, कुछ घड़ी गिनकर तो देखो!
रूह को आराम होगा और दिल भी चैन पाए,
तुम किसी बेघर की खातिर, घोंसला बुनकर तो देखो!
अपने आंसू, अपनी पीड़ा, कम लगेगी देखो उस दिन,
तुम किसी भूखे का दुखड़ा, कुछ घड़ी सुनकर तो देखो!
तब तुम्हे दुनिया में देखो, दर्द का एहसास होगा,
एक काँटा तुम किसी के, पांव से चुनकर तो देखो!
"देव" तुमको सारी दुनिया, अपने ही जैसी लगेगी,
छोड़कर काँटों की फितरत, फूल तुम बनकर तो देखो!"
..............…चेतन रामकिशन "देव"…................
दिनांक-२३.१०.२०१३