Wednesday 22 June 2011

♥अतिक्रमण अभियान( गरीबों पे मार) ♥

♥♥♥♥♥♥अतिक्रमण अभियान( गरीबों पे मार) ♥♥♥♥♥♥♥♥
"आज शहर में चला है देखो अतिक्रमण अभियान!
 खोखे, ठेले,  फड़ वाले ही लोग हुए वीरान!
 जिन लोगों ने लूट रखी है, सरकारी संपत्ति,
 उन लोगों की ईंट ना हिलती, क्यूंकि वो बलवान!

अफसरशाही देश की केवल, निर्धन को ही लूटे!
उनकी झुग्गी छण में गिरती, नहीं ईमारत टूटे!

ऐसे अभियानों से होती, मिथ्या की पहचान!
आज शहर में चला है देखो अतिक्रमण अभियान.................

उनके पास नहीं धन संचय, रोज कमाना खाना!
उन लोगों का एक ही अड्डा, उनका वही ठिकाना!
किन्तु शासन प्रशासन को, कहाँ है इनकी चिंता,
ये तो केवल छीनने वाले, आता नहीं वसाना!

उनके घर में भूख पसरती, उनकी किस्मत फूटे!
उनकी झुग्गी छण में गिरती, नहीं ईमारत टूटे!

ऐसे अभियानों से होती, उनकी गति विराम!
आज शहर में चला है देखो अतिक्रमण अभियान.................

 शासन प्रशासन के लोगों, सोच को जरा निखारो!
बड़े मगर को पकड़ो पहले, फिर मछली को मारो!
"देव" यदि ये दोहरा चक्कर, नहीं अगर रोकोगे,
वो संघर्ष करेंगे तुमसे, सोच ये मन में धारो!

वो क्या समझें पीड़ा उनकी, जिनके महल ना टूटे!
उनकी झुग्गी छण में गिरती, नहीं ईमारत टूटे!

ऐसा अभियानों से होती, न्याय सोच अवसान!
आज शहर में चला है देखो अतिक्रमण अभियान!"

"सच में ऐसा ही होता है! फड़  वाले, ठेले वाले, खोखे वाले जब उजड़ते हैं तो, उनके घर में रोटी नहीं बनती! ये अभियान, तब तो सार्थक लगे जब की पहले उन लोगों को महल गिराए जायें जो बलवान कब्जाधारी हैं!-चेतन रामकिशन "देव"