Tuesday, 16 October 2012


♥♥♥♥♥♥♥♥♥मेरे खत..♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥
तुम भले ही मेरे खत को संभाल कर रखना!
हाँ मगर उसको लिफाफे में डाल कर रखना!

भूल से भी नहीं पढ़ना कभी अलफ़ाज मेरे,
गर पढ़ो तो जरा आंसू संभाल कर रखना!

तेरे होठों पे कभी, नाम न आ जाये मेरा.
अपनी यादेँ मेरे दिल से निकाल कर रखना! 

गम के जितना करीब लाओगे तो तड़पोगे,
गम के सूरज को तुम ऊँचा उछाल कर रखना!

अब अलग होके "देव" जीने की मजबूरी है,
तुम मेरे प्यार को, ख्वाबों में ढाल कर रखना!"

............चेतन रामकिशन "देव"...............

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