♥♥♥♥♥♥♥♥♥मेरे खत..♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥
तुम भले ही मेरे खत को संभाल कर रखना!
हाँ मगर उसको लिफाफे में डाल कर रखना!
भूल से भी नहीं पढ़ना कभी अलफ़ाज मेरे,
गर पढ़ो तो जरा आंसू संभाल कर रखना!
तेरे होठों पे कभी, नाम न आ जाये मेरा.
अपनी यादेँ मेरे दिल से निकाल कर रखना!
गम के जितना करीब लाओगे तो तड़पोगे,
गम के सूरज को तुम ऊँचा उछाल कर रखना!
अब अलग होके "देव" जीने की मजबूरी है,
तुम मेरे प्यार को, ख्वाबों में ढाल कर रखना!"
............चेतन रामकिशन "देव"...............
सर्वाधिकार सुरक्षित!
ये रचना मेरे ब्लॉग पर पूर्व प्रकाशित!
1 comment:
बहुत अद्भुत अहसास...सुन्दर प्रस्तुति .पोस्ट दिल को छू गयी.......कितने खुबसूरत जज्बात डाल दिए हैं आपने..........बहुत
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