♥♥♥करुण निवेदन.♥♥♥♥
करुण निवेदन करके देखा,
और याचना भी की मन ने!
किन्तु फिर भी प्रेम के बादल,
नहीं छा सके इस जीवन में!
जिसकी यहाँ जरुरत होती,
वो ही पास नहीं आते हैं!
और अपने दिल के ही टुकड़े,
मानो पत्थर बन जाते हैं!
होती है मायूसी किन्तु,
नहीं समझते समझाने से,
अपनायत के निशां देखिए,
मानो दिल से मिट जाते हैं!
रंग बड़े बदरंग हुए हैं,
नीर बहाया ने उपवन ने!
करुण निवेदन करके देखा,
और याचना भी की मन ने!"
.............चेतन रामकिशन "देव".....