Monday, 27 January 2014

♥♥♥तंज...♥♥♥

♥♥♥♥♥♥♥♥♥तंज...♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥
तोड़के दिल मेरा अब लोग हँसा करते हैं!
मेरे अपने ही मुझे तंज कसा करते हैं!

उनकी आँखों में चुभें झोपड़ी गरीबों में,
लोग दौलत का यहाँ इतना नशा करते हैं!

आज उस मुल्क की दीवार पे खूँ के छींटे,
जहाँ पत्थर में भी भगवान वसा करते हैं!

बेटा जन्मा तो लोग जश्न मनाने निकले,
और बेटी के गले फंदा कसा करते हैं!

वक़्त जब आये बुरा, तो नहीं चलती खुद की,
जाल में बाज के जैसे भी फँसा करते हैं!

उसको मिट्टी की शरारत का तजुर्बा होता,
पांव जिसके यहाँ दलदल में धँसा करते हैं!

"देव" मुझको न गिला तुमसे कोई शिक़वा है,
लोग पहले यहाँ अपनों को डसा करते हैं! "

...........चेतन रामकिशन "देव"….......
दिनांक-२७.०१.२०१४