♥ ♥ ♥ ♥ ♥ ♥ ♥ ♥ ♥ वो पुरानी यादें(सुनहरा दौर ) ♥ ♥ ♥ ♥ ♥ ♥ ♥
"चलो चलकर वहां देखें, जहाँ इन्सान रहते हैं!
जहाँ पत्थर के टुकड़ों में, अभी भगवान रहते हैं!
जमाना ये नहीं करता है इज्ज़त अब मुहब्बत की,
चलो राधा की चाहत में जहाँ, घनश्याम रहते हैं!
नहीं अब तो हमे कोई कहीं, कुर्बानियत दिखती,
चलो उस दौर में पन्ना के वो, बलिदान रहते हैं!
नहीं मर्यादा दिखती है, नहीं रिश्तों, ना नातों में,
चलों उस दौर में मर्यादा के, श्री राम रहते हैं!
यहाँ जाती के खंजर "देव", और मजहब की दीवारें,
चलो उस दौर में मीरा, जहाँ रसखान रहते हैं!"
"आज हम लोगों ने जातिवाद, धर्मवाद, अमीरी,स्वार्थ के वशीभूत होकर अपने देश की उस सुनहरी संस्कृति को भी अपमानित और कलुषित कर दिया है! तो आइये अब भी वक्त है, कुछ गुणात्मक सुधर करें!-चेतन रामकिशन(देव)"