Sunday, 7 July 2013

♥कठिन रास्ते..♥


♥कठिन रास्ते..♥

कठिन रास्ते हैं, 
सफर भी है मुश्किल,
मगर फिर भी चलने को जी कर रहा है!

अँधेरा घना है,
चिरागों की तरह,
मगर फिर भी जलने को जी कर रहा है!

मैं जब भी तलाशी जो लेता हूँ दिल की,
सिवा गम के कुछ भी तो मिलता नहीं है!

बहारें खुशी की नहीं आयीं अब तक,
के जीवन में गुल कोई खिलता नहीं है!

मगर फिर भी गम की,
दहकती अगन में,
के मेरा पिघलने को जी कर रहा है!

कठिन रास्ते हैं, 
सफर भी है मुश्किल,
मगर फिर भी चलने को जी कर रहा है...


गमों की ये रातें सताती हैं मुझको,
गमों के भी ये दिन भी रुलाते रहे हैं!

के अब तक तो टूटे हैं सारे ही सपने,
मगर ख्वाब हम फिर सजाते रहे हैं!

मुझे "देव" खुद से है इतनी मोहब्बत,
के मैं दर्द में भी, जिये जा रहा हूँ!

मुझे जितने आंसू दिए जिंदगी ने,
के मैं हंसके उनको, पिये जा रहा हूँ!

गमों की घुटन है,
मगर फिर भी मेरा,
के देखो मचलने को जी कर रहा है!

कठिन रास्ते हैं, 
सफर भी है मुश्किल,
मगर फिर भी चलने को जी कर रहा है!"

...चेतन रामकिशन "देव"...
दिनांक-०७.०७.२०१३


♥♥प्रेम के नियम..♥♥

♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥प्रेम के नियम..♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥ 
न परिभाषा पता प्रेम की, न ही कोई नियम जानता!
इसीलिए मैं खुद को अब तक, प्रेम के काबिल नहीं मानता!
लोग यहाँ पर प्रेम में देखो, अपने अपने पक्ष बतायें,
किसी के दिल पे क्या बीती है, कोई देखो नहीं जानता!

प्रेम समर्पण की नीति है, लोग मगर इसको न मानें!
अपनी धुन में रहें वो डूबे, भाव किसी के न पहचानें!
अपने प्रेम को उच्च समझकर, औरों को कमतर आंकेंगे!
आंख से परदे नहीं हटाकर, किसी के दिल में वो झाकेंगे!

बिना समर्पित प्रेम की मंजिल, अपने मन में नहीं ठानता!
न परिभाषा पता प्रेम की, न ही कोई नियम जानता....

यदि प्रेम के भाव समझकर, साथ साथ तुम चलकर देखो!
कभी जरुरत पड़े तो देखो, एक दूजे पे मिटकर देखो!
"देव" प्रेम का नाम बताकर, भाव बोझ प्रेषित न करना,
प्रेम हमारा अमर रहेगा, यदि रूह से मिलकर देखो!

बिना समर्पण के भावों को, प्रेम मैं हरगिज नहीं मानता!
न परिभाषा पता प्रेम की, न ही कोई नियम जानता!"

....................चेतन रामकिशन "देव"......................
दिनांक-०७.०७.२०१३