Friday 15 November 2013

♥♥ख्वाबों के दीपक ...♥♥

♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥ख्वाबों के दीपक ...♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥
गमों का सफ़र है, कठिन जिंदगी है, मगर हार फिर भी नहीं मानता हूँ!
मोहब्बत की बातें मैं करता हूँ हर पल, नहीं नफरतों का जहर जानता हूँ!
जो दिल ने कहा मेरे वो लिख रहा हूँ, नहीं मैं ग़ज़ल की बहर जानता हूँ!
जो लोगों को लूटे यकीं छलनी करके, मैं देखो नहीं वो हुनर जानता हूँ!

अँधेरा है बेशक मगर अपने दिल को, उजालों का झिलमिल ये आकाश देना!
जो समझो यहाँ दर्द तुम आदमी का, जरा अपने दिल को वो एहसास देना!

मुझे है मोहब्बत हक़ीक़त से देखो, नहीं झूठ की मैं लहर जानता हूँ!
गमों का सफ़र है, कठिन जिंदगी है, मगर हार फिर भी नहीं मानता हूँ...

मैं ख्वाबों के दीपक जलाने लगा हूँ, मैं सपनों की दुनिया वसाने लगा हूँ!
मैं लफ्जों को कागज़ पे लिखने लगा हूँ, मैं भावों की सरिता बहाने लगा हूँ!
सुनो "देव" अपने ग़मों को मैं देखो, इरादों की लौ पर तपाने लगा हूँ!
मैं अपने ही हाथों से जीवन को अपने, हुनर जीतने का सिखाने लगा हूँ!

कभी हारकर भी नहीं हारना तुम, नहीं अपने जीवन को तुम श्राप मानो!
तपोगे तो कुंदन भी बन जाओगे तुम, सदा अपने दुख को गरम ताप मानो!

नहीं होता जब तक यकीं मुझको खुद पर, मैं अपने इरादे नहीं ठानता हूँ!
गमों का सफ़र है, कठिन जिंदगी है, मगर हार फिर भी नहीं मानता हूँ!"

............................…चेतन रामकिशन "देव"..................................
दिनांक-१५.११.२०१३