Sunday 26 January 2014

♥♥दो घड़ी को ही...♥♥

♥♥♥♥♥♥दो घड़ी को ही...♥♥♥♥♥♥♥♥
दो घड़ी को ही सही, वक़्त निकाला होता!  
मेरे गिरते हुए क़दमों को संभाला होता!

तेरे एहसास से ही, मुझको ख़ुशी मिल जाती,
मेरे जज़्बात को गर, तुमने जो पाला होता!

उम्र भर तेरे हुस्न की, मैं कदर करता पर,
कोयले जैसा तेरा दिल, नहीं काला होता!

नाम बेटों से भी ऊँचा वो जहाँ में करती,
तुमने बेटी को अगर शौक से पाला होता!

जिनको एहसास नहीं वो क्या समझते दुख को, 
उनके क़दमों में अगर दिल को भी डाला होता!

कमी औरों से भी ज्यादा तुम्हे लगती खुद की,
अपने दिल को जो कभी तुमने खंगाला होता!

"देव" तुम जानते क्या होती तड़प चाहत की,
तेरे दिल में भी अगर दर्द का छाला होता!"

...........चेतन रामकिशन "देव"….........
दिनांक-२6.०१.२०१४