Tuesday, 21 May 2013

♥♥बेचैनी..♥♥



♥♥♥♥♥बेचैनी..♥♥♥♥♥♥
तुम बिन गहरी बेचैनी है,
सूना सूना घर लगता है!
बिना तुम्हारे मेरे हमदम,
मुझे तिमिर से डर लगता है!
मेरी सखी तू पल भर को भी,
खुद को मुझको दूर न करना,
बिना तुम्हारे इस जीवन पर,
गुमनामी का कर लगता है!

बिना तुम्हारे जीवन पथ का,
नहीं गुजारा होता हमदम!
बिना तुम्हारे इस दुनिया का,
नहीं सहारा होता हमदम!
बस तुझको ही सोच सोच कर,
विरह की बेला कटती हैं,
बिना तुम्हारे चाँद न मेरा,
नहीं सितारा होता हमदम!

बिना तुम्हारे बादल प्यासा,
थका थका अम्बर लगता है!
बिना तुम्हारे इस जीवन पर,
गुमनामी का कर लगता है!"

.....चेतन रामकिशन "देव"......
दिनांक-२१.०५.२०१३