♥♥♥♥♥♥♥कच्ची मिट्टी सा दिल...♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥
भावुकता है छिन्न भिन्न सी, घाव हुये हैं, रक्त बहा है।
मैं ही जानूं कैसे मैंने, इतने दुःख का वार सहा है।
मेरे मन में जिसकी छवियाँ, दीर्घकाल से स्थापित थी,
उसने मेरे सत्य प्रेम को, क्षण भर में ही झूठ कहा है।
नहीं पता कि ऐसा करके, उनको क्या कुछ मिल पायेगा।
या उनका चेहरा दमकेगा, या फिर आँगन खिल जायेगा।
मेरे मन पे अंकित आखर, देख के भी अनदेखा करते,
नहीं पता था जीवन पथ पे, पीड़ा का बादल छायेगा।
विस्मृत मेरा प्रेम किया तो, किंचित क्या फिर शेष रहा है
भावुकता है छिन्न भिन्न सी, घाव हुये हैं, रक्त बहा है.....
सोच रहा हूँ भावुकता को, अपनायत को बौना कर दूँ।
प्रेम भूलकर, लूट मार कर, घर में चांदी सोना भर दूँ।
"देव " वो सुन्दर है फूलों सा, मुझसे क्या नाता रखेगा,
तिमिर घना एकाकीपन का, मैं खुद को ही बेघर कर दूँ।
कच्ची मिट्टी सा कोमल दिल, टुकड़े होकर शेष रहा है।
भावुकता है छिन्न भिन्न सी, घाव हुये हैं, रक्त बहा है। "
........चेतन रामकिशन "देव"……
दिनांक-२०.१२.२०१५
" सर्वाधिकार C/R सुरक्षित। "
भावुकता है छिन्न भिन्न सी, घाव हुये हैं, रक्त बहा है।
मैं ही जानूं कैसे मैंने, इतने दुःख का वार सहा है।
मेरे मन में जिसकी छवियाँ, दीर्घकाल से स्थापित थी,
उसने मेरे सत्य प्रेम को, क्षण भर में ही झूठ कहा है।
नहीं पता कि ऐसा करके, उनको क्या कुछ मिल पायेगा।
या उनका चेहरा दमकेगा, या फिर आँगन खिल जायेगा।
मेरे मन पे अंकित आखर, देख के भी अनदेखा करते,
नहीं पता था जीवन पथ पे, पीड़ा का बादल छायेगा।
विस्मृत मेरा प्रेम किया तो, किंचित क्या फिर शेष रहा है
भावुकता है छिन्न भिन्न सी, घाव हुये हैं, रक्त बहा है.....
सोच रहा हूँ भावुकता को, अपनायत को बौना कर दूँ।
प्रेम भूलकर, लूट मार कर, घर में चांदी सोना भर दूँ।
"देव " वो सुन्दर है फूलों सा, मुझसे क्या नाता रखेगा,
तिमिर घना एकाकीपन का, मैं खुद को ही बेघर कर दूँ।
कच्ची मिट्टी सा कोमल दिल, टुकड़े होकर शेष रहा है।
भावुकता है छिन्न भिन्न सी, घाव हुये हैं, रक्त बहा है। "
........चेतन रामकिशन "देव"……
दिनांक-२०.१२.२०१५
" सर्वाधिकार C/R सुरक्षित। "